नेहा शर्मा, नई दिल्ली, 30 जनवरी, 2023
राहुल गांधी के नेतत्व में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का आज 30 जनवरी सोमवार को समापन है। तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई ये यात्रा 145 दिनों में 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते हुए करीब 4000 किलोमीटर की दूरी तय कर जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर पहुंची। जहां राहुल गांधी ने रविवार को ऐतिहासिक लाल चौक जाकर तिरंगा फहराया और कहा कि भारत से किया गया वादा पूरा हो गया है। उन्होंने यात्रा को अपने जीवन का सबसे गहरा और सुंदर अनुभव बताया।
भारत जोड़ो यात्रा ने 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से होते हुए 4,080 किलोमीटर की दूरी तय की। इस दौरान राहुल गांधी ने 12 जनसभाओं, 100 से अधिक बैठकों, 13 प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। यात्रा तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से होकर गुजरी है।
लाल चौक पर पुख्ता थी सुरक्षा व्यवस्था
लाल चौक पर रविवार को तिरंगा फहराने के 10 मिनट के कार्यक्रम के लिए सुरक्षा अपने चरम पर थी। शहर के लिए सांकेतिक महत्व रखने वाले चौक की ओर जाने वाले एक किलोमीटर के दायरे में सभी सड़कों को शनिवार रात से ही बंद कर दिया गया था और किसी भी वाहन की आवाजाही की अनुमति नहीं थी। सुरक्षाकर्मियों की भारी तैनाती के साथ सभी प्रवेश बिंदुओं पर बैरिकेड्स लगाए गए थे। साथ ही कंटीले तारों का भी इस्तेमाल किया गया था। वहीं दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान और साप्ताहिक पिस्सू बाजार को भी सुरक्षा के लिहाज से बंद रखा गया था।
इस तरह के प्यार भरे रिस्पॉन्स की उम्मीद नहीं थी- राहुल
यात्रा के बाद राहुल गांधी ने प्रेस वार्ता में कहा कि उन्हें बहुत कुछ सीखने और समझने को मिला। उन्होंने कहा कि मैंने लाखों लोगों से मुलाकात की, उनसे बात की। आपको समझाने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। यात्रा का उद्देश्य भारत को एकजुट करना था, यह देश भर में फैली नफरत और हिंसा के खिलाफ थी। हमें जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। असल में किसी को भी इस तरह के प्यार भरे रिस्पॉन्स की उम्मीद नहीं थी।
2024 के चुनावों में दिखेगा भारत जोड़ो यात्रा का असर?
वहीं विश्लेषकों और विशेषज्ञों की मानें तो भारत जोड़ो यात्रा से भले ही कांग्रेस और राहुल गांधी की छवि को सुधारने में मदद की हो, लेकिन 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी का रास्ता कई चुनौतियों से भरा हुआ है। दरअसल, देश की सबसे पुरानी पार्टी के सामने संगठन के पुनर्निर्माण करना एक बड़ी चुनौती है। पार्टी में नेतृत्व को लेकर तनातनी हाल ही में खुलकर सामने आई थी। हालांकि एक बार फिर कांग्रेस की कमान गैर गांधी परिवार के हाथों में है, लेकिन पार्टी के अंदर के ही बड़े नेताओं का मानना है कि फैसले आज भी गांधी परिवार द्वारा ही लिए जाते हैं। जिसके बाद कहा जा रहा है कि भारत जोड़ो यात्रा की सफलता का आकलन 2024 के लोकसभा चुनावों के परिणामों से किया जाएगा।
9 राज्यों में इसी साल होने हैं चुनाव
बता दें कि इसी साल 9 राज्यों मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड, कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं। चार उत्तर-पूर्वी राज्यों में कांग्रेस को फायदा नहीं होने का अनुमान है। पार्टी इन राज्यों में लगातार अपना जनाधार खोती जा रही है। यहां वापसी करना पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती है। कारण, मिजोरम में, कांग्रेस को 2018 में करारी हार का सामना करना पड़ा था और वह सिर्फ पांच सीटों पर सिमट गई थी, जबकि मेघालय में भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। वहीं त्रिपुरा और नागालैंड में भी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा।